वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में झारखंड प्रदेश स्थापना दिवस के अवसर पर शनिवार को छात्र कल्याण संकाय तत्वावधान में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हुए। छात्र कल्याण संकाय द्वारा मानविकी संकाय स्थित स्मार्ट कक्ष में ‘झारखंड प्रदेश के सामाजिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक एवं विभिन्न विविधताओं’ विषय पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रत्येक प्रतिभागी ने झारखंड प्रदेश सामाजिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक विविधताओं तथा समसामयिक परिस्थितियों पर अपने-अपने विचार बड़े बेबाकी से प्रस्तुत किये। प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में प्रो. नलिनी श्याम कामिल एवं डॉ. अम्बरीष राय शामिल रहे। छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष प्रो. राजेश कुमार मिश्रा ने झारखंड प्रदेश की स्थापना के उपलक्ष में आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों की रूपरेखा के बारे में विस्तार से अवगत कराया। प्रतियोगिता का संयोजन प्रो. आनन्द शंकर चौधरी एवं संचालन सह-संजोजक डॉ. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने किया। इस अवसर पर अमिताभ, अश्वनी कुमार सिंह, सत्येंद्र त्रिपाठी, सुहानी, विश्वजीत, सुहैल, जागृति, अभिषेक, आनंद, उत्सव, विष्णु आदि उपस्थित रहे।
छात्र कल्याण संकाय अध्यक्ष प्रो. राजेश कुमार मिश्र के नेतृत्व में झारखंड की विविधतापूर्ण विरासत और सांस्कृतिक पहचान के गहन अध्ययन, जागरूकता और प्रसार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एक क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता का संयोजन दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. नन्दिनी सिंह ने किया। निरीक्षक के रूप में डॉ. कविता कुमारी, डॉ. संतोष कुमार सिंह, डॉ. गणेश जायसवाल, डॉ चंद्रमणि एवं डॉ. प्रियंका कुमारी उपस्थित रहे। पर्यवेक्षण प्रो. हंसा जैन द्वारा किया गया। चार चरणों में संपन्न इस प्रतियोगिता में कुल 31 प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिसमें निपुण मल्होत्रा ने प्रथम, सूफी रजक ने द्वितीय एवं नेहा सिंह राय ने तृतीय स्थान प्राप्त कर प्रतियोगिता में विजयी रहे।
ललित कला विभाग में चित्रकला प्रतियोगिता, कला प्रदर्शनी एवं रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। चित्रकला प्रतियोगिता में सम्मिलित लगभग 30 छात्र-छात्राओं की कृतियों के अवलोकन के लिए ललित कला विभाग के कालादीर्घा में प्रदर्शित की गयी। प्रदर्शनी में झारखंड के लोक कला, टेराकोटा एवं बिरसा मुंडा के झारखंड योगदान की कहानियों पर आधारित चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शित कलाकृतियों में संथाल लोग 5 दिनों तक सोहराय मानते हैं, जहां वे मवेशियों की देखभाल और पूजा करते हैं, इस तरह के विषय देखने को मिले। एक कलाकृति में संथाल महिलाएं नृत्य से पहले बैलों की पूजा करते हुए दिखाई गई है। प्रदर्शित चित्रों में आदिवासी पुरुष वाद्य यंत्रों की धुन पर नाचते हुए दिखाया है। साथ ही भारत माता मंदिर के परिसर में रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में कुल 08 टीमों ने भाग लिया, जिसमें 27 छात्र छात्राएं सम्मिलित हुए। रंगोली प्रतियोगिता में विषय के अंतर्गत झारखंड के लोक नृत्य, छाऊ नृत्य एवं बिरसा मुंडा के योगदान की कहानियों पर आधारित रंगोली को सजाया गया है। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा, डॉ. शत्रुघ्न प्रसाद, डॉ. रामराज, डॉ. मदन प्रसाद गुप्ता, डॉ. स्नेहलता कुशवाहा, शालिनी कश्यप, एस एंजेला आदि उपस्थित रहे।
विधि विभाग में झारखण्ड राज्य का स्थापना दिवस उल्लास के साथ मनाया गया। विशिष्ट वक्ता विधि संकाय, बी.एच.यू. के प्रो. राजू माझी ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में जनजाति समुदाय का विशेष योगदान रहा है। आपने झारखण्ड राज्य से सम्बद्ध विभिन्न जनजातियों एवं वहां की स्थानीय भाषा विशेष रूप से जोहार शब्द का अर्थ बताया। झारखण्ड की संस्कृति भारत के विविधतापूर्ण सांस्कृतिक स्वरूप में एक विशिष्ट स्थान रखती है। यह राज्य आदिवासी परम्पराओं लोक कलाओं, नृतासंगीत एवं भाषाओं से समृद्ध है। विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष प्रो. रंजन कुमार ने झारखण्ड राज्य के विभिन्न सांस्कृतिक पक्षी को उद्धृत किया। प्रो. रंजन ने झारखण्ड राज्य के ऐतिहासिक आदोलन की विशेष रूप से चर्चा किया एवं आदिवासी नेता भगवान बिरसा मुडर के योगदान को विस्तृत रूप से बताया। इस मौके पर झारखण्ड से सम्बद्ध बी.ए. एल-एल.बी प्रथम सेमेस्टर की छात्रा तुलिका कार्तिकेय का भी स्वागत किया गया। संचालन डॉ. मेराज हाशमी ने किया। इस अवसर पर डॉ. शेषनाथ शर्मा, पवन कुमार सिंह, डॉ. हिमांशु गिरि आदि उपस्थित रहे।