लालगंज आज़मगढ़ । रामचरितमानस के मर्मवेत्ता, प्रसिद्ध भागवत कथाकार श्याम सुंदर पांडे ने चाकीडीह में भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान को छल कपट त्याग कर ही पाया जा सकता है। उन्होंने कहा प्रकृति रूपी राधा या मां सीता की शरण में जाने से निर्मल मन की प्राप्ति होती है। भगवान श्रीकृष्ण परात्पर ब्रह्म के प्रतीक हैं। उन्होंने कहा जो सबके मन को आकर्षित कर ले वही कृष्ण है। भगवान कृष्ण ब्रह्म स्वरूप हैं। ब्रह्म की शरण में जाने पर जीवात्मा का उद्धार होता है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में स्वं कहा है कि सभी धर्मों अर्थात् मत-मतान्तरों , परंपराओं को त्याग कर एक मेरी शरण में आओ मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्ति दिलाऊंगा। भागवत कथा में भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का सम्यक निरूपण हुआ है। भागवत कथा श्रवण करने मनुष्य इस भवसागर को आसानी से पार कर जाता है ।उसकी आत्मा का उद्धार हो जाता है। वह जन्म मृत्यु के चक्र से छुटकारा पा जाता है। राधा प्रकृति स्वरूपा हैं। वही माया के रूप में जीवों को भ्रमित करती हैं ।जीवनधारा जब बदल जाती है। तब वह प्रकृति रूपी राधा से तदाकार की स्थिति प्राप्त कर लेता है। उसका मन निर्मल हो जाता है । और उसकी आत्मा का उद्धार हो जाता है। इस अवसर पर चंद्रावती देवी, निशा देवी, शारदा देवी, प्रेमलता देवी, सुमन देवी, सुनीता देवी, सुषमा देवी, दिनेश विश्वकर्मा, शिवांश, संयोगिता, धर्मेंद्र एवम् श्रीमनोहर पाण्डेय आदि लोग विशेष रूप से उपस्थित थे ।
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