प्रयागराज | कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद उत्तर प्रदेश में एक बार फ़िर कम्प्लीट लॉकडाउन लग सकता है. ये लॉकडाउन कम से कम दस दिनों का होगा. सूबे में कोरोना के बढ़ते मामलों और इससे होने वाली मौतों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गहरी चिंता और अपनी नाराजगी जताते हुए योगी सरकार को कम्प्लीट लॉकडाउन लागू करने का सुझाव दिया है. हाईकोर्ट ने साफ़ तौर पर कहा है कि सरकारी अमला सड़कों पर लोगों को बेवजह निकलने, बाज़ारों में भीड़ इकट्ठा होने और सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन करा सकने में नाकाम साबित हुआ है. यही वजह है कि तमाम शहरों में कोरोना के केस काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच का कहना है कि कम्प्लीट लॉकडाउन और उस पर सख्ती से अमल कराए बिना कोरोना के संक्रमण को काबू में नहीं किया जा सकता है ।
कोर्ट का मानना है कि सरकारी अमला लोगों को बेवजह बाहर निकलने से रोक ना पाया और न ही लोगों ने गाइडलाइन का पालन करने में अपनी दिलचस्पी दिखाई. हाईकोर्ट ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा है कि ब्रेड बटर खरीदने के लिए घर से बाहर निकलने से ज़्यादा ज़रूरी जीवन बचाना है. कोर्ट ने इस मामले में सख्त रवैया अपनाते हुए यूपी के चीफ सेक्रेट्री से पूछा है कि जिन ज़िम्मेदार लोगों ने इसका सख्ती से पालन नहीं कराया, उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जा रही है. कोर्ट के इस रुख से कई बड़े अफसरों पर गाज गिरने की आशंका हो गई है. कोर्ट ने चीफ सेक्रेट्री को 28 अगस्त को कोर्ट में हलफनामा पेश कर लाकडाउन समेत सभी बिंदुओं पर जवाब दाखिल करने को कहा है. कोर्ट ने सबसे ज़्यादा नाराज़गी यूपी के सात बड़े शहरों लखनऊ, कानपुर नगर, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, बरेली व झांसी में संक्रमण के बढे हुए मामलों पर जताई है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि लाकडाउन के ज़रिये लोगों को घरों में ही रहने को मजबूर करना बेहद ज़रूरी हो गया है.