लालगंज आज़मगढ़ । 15 वर्षीय मुहम्मद अलतमश बिन मुहम्मद हारून के हिफ्ज़ मुकम्मल करके हाफिज़ बनने पर स्थानीय क्षेत्र के कटौली कलां के मदरसा फखरूल इस्लाम में आज गुरुवार को एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मदरसा के नाजिम ज़हीर अहमद कासमी और संचालन मौलाना ताबिश कासमी ने किया। इस अवसर पर मौलाना जहीर अहमद कासमी ने अपने बयान में शिक्षा की अहमियत, कुरान को याद करने की फजीलत और इसे याद रखने के गुर बताए और अभिभावकों की जिम्मेदारियों को याद दिलाया। उन्होंने कहा हाफिज़ बन जाने के बाद कुरान के कंठस्थ याद रखने के लिए महत्वपूर्ण है कि इसे नियमित रुप से पढा जाये। नहीं तो इसके भूल जाने का खतरा पैदा हो सकता है। उन्होने कहा हाफिज़ बन जाने पर सादा पहनावा, शक्ल व सूरत, तौर-तरीका और शिष्टाचार को दुरुस्त रखना बहुत जरूरी है।दूसरी बात यह है कि हर हाल मे नमाज़ का पालन करें और कुरान का पाठ करते रहें और रमजान मे तरावीह पढाते रहें। नहीं तो कुरान को भूल जाने का खतरा उत्पन्न हो सकता है। उन्होंने कहा कि जो लोग तरावीह नहीं पढ़ाते हैं, उनके जल्द कुरान को भूल जाने का खतरा बना रहता है। इसलिए हमें इसकी सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करते रहना चाहिए। अंत में मौलाना अब्दुल्ला कासमी कटौली कलां ने अभिभावकों और शिक्षकों को उनकी जिम्मेदारियों से अवगत कराया। उन्होंने आग्रह किया कि हमें अपने बच्चों को उचित संस्कार देने के साथ उनकी निगरानी और वह किसके साथ उठते बैठते हैं, इसपर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा अधिकांश बच्चे अपने माता-पिता की नकल करते हैं। इसलिए माता-पिता को पहले खुद को सुधारना होगा। स्वयं में अच्छी नैतिकता का निर्माण करें ताकि इसका हमारे बच्चों पर अच्छा प्रभाव पड़े। अंत में मौलाना अब्दुल्ला की दुआ के साथ बैठक समाप्त हुई। बैठक में शिक्षकों और छात्रों के अलावा गांव के हाजी नूरुल हुदा, मोहम्मद सऊद खान, हाजी सोहराब प्रधान, वसीम अहमद, डॉ. नोमान, जिया-उर-रहमान, हाफिज रईस, अबू रिहान, मुफ्ती जमशेद आलम और अन्य ने शामिल रहे।