काफ़ी लम्बे समय से वाराणसी आज़मगढ़ रेल लाइन चलाने के लिये कई संघटन लगे हुए है साथ ही इस कार्य को पूरा करने के लिए जी जान लगाए इक आस में बैठे है की कभी तो वो दिन आएगा वो वक़्त आयेगा की हमारी माँगे पूरी होगी और हमारे सपने सच होगे इस देश के तमाम नेता मंत्री विधायक सांसद सभी आते गये और पर इस रेलवे लाइन के लिए कुछ कर ना सके उनके वादों की बौछार से ये लाइन दब सी गई है काफ़ी सालो से इसकी माँग होती रही है 1973 में इसका सर्वे भी कराया गया 2014 में बीजेपी ने इसको पूरा करने का वादा तक कर दिया मगर पूरे पाँच वर्ष पूरे होने पे ये लाइन ज़मीन पे नही उतरी फिर चुनाव आए फिर वही वादे घूमने लगे ऐसा की मानो अभी बस बरस देंगे चुनाव ख़त्म हुआ और वो वादों वाला बादल फिर कही दूर कोने में जा बैठा । ये लाइन बनने से इस इलाक़े के कई लाख लोगों को फ़ायदा होता आस लगाये बैठे लोग आज भी इस लाइन को ज़मीन पे लाने की उम्मीद लगाए बैठे है की शायद कोई ऐसा नेता या मंत्री आएगा जो इस लाइन को ज़मीन पे उतार सके और यहाँ के लोगों के सपनो को साकार कर सके ।
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