लालगंज आजमगढ़ | एआईएमआईएम के जिला महासचिव मोहम्मद हाशिम के आवास बसही आए एआईएमआई एम के शौकत अली ने कहा मुसलमानों की समस्या की असल वजह यह है कि वह राजनैतिक रूप से यतीमी की जिंदगी गुजार रहा है। उन्होंने कहा आप सड़कों पर एक लाख का मजमा लगा कर चार दिन चिल्लाइए आप की एक नहीं सुनी जाएगी अगर वही बात सदन में रखी जाए तो वह एक रिकॉर्ड होगी और सुनी जाएगी। इस लिए अपनी कयादत को मजबूत करें। उन्होंने कहा हमें बसपा से सबक लेना चाहिए जो किसी को हराने जिताने के लिए मतदान नहीं करते बल्कि अपने प्लेटफार्म को मजबूत करने के लिए मतदान करते हैं। मुसलमान उससे अधिक संख्या में होने के बावजूद मुत्ताहिद या एकता न होने से कमजोर हैं। उन्होंने कहा सियासत जम्हूरियत की सबसे बड़ी ताकत है, हमें यह समझना होगा। इसे दलितों ने समझ लिया लेकिन मुसलमान आज तक इसे नहीं समझ पाए। उन्होंने कहा 1947 में मौलाना अबुल कलाम आजाद ने मुसलमानों से यह आह्वान किया था कि वह अपनी राजनैतिक पार्टी न बनाएं बल्कि कांग्रेस का साथ दें और मुसलमानों ने काफी दिनों तक कांग्रेस का साथ दिया। इसके बाद 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी को मजबूत किया। इन्हीं पार्टियों ने मुसलमानों को ठगा और मुसलमान राजनैतिक रूप से यतीम हो गया। अगर आज कोई अपने बीच से पार्टी खड़ी होने का प्रयास करती है तो उसे भारतीय जनता पार्टी का एजेंट करार दे दिया जाता है और कहा जाता है कि यह बीजेपी की बी टीम है। उन्होंने कहा सेक्युलर कही जाने वाली समाजवादी पार्टी के लोगों के भारतीय जनता पार्टी के लोगों से अच्छे रिश्ते हैं। अखिलेश यादव को जब जरूरत पड़ती है तो वह योगी जी से मिल लेते हैं। लेकिन अगर असदुद्दीन ओवैसी भाजपा के किसी लीडर से मिल लिए तो उन्हें बदनाम किए जाने की राजनीति शुरू हो जाती है जो दूसरा कोई नहीं बल्कि हमारे लोग ही करते हैं। यही लोग वह लोग हैं जो लोगों को गुमराह करते हैं। उन्होंने भागीदारी संकल्प मोर्चा के विषय में भी खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि मुसलमानों की हालत यह है कि बीजेपी को हराने के लिए बीजेपी से निकले लीडर को ही वह अपना लीडर मान लेने को तैयार हो जाते हैं लेकिन अपनी लीडर शिप को मजबूत करने के विषय में नहीं सोच पाते यह भी एक वजह है कि वह कमजोर हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के समय मजबूत विकल्प के लिए हमने एकता की काफी कोशिश की लेकिन अखिलेश यादव अति आत्मविश्वास में थे कि उनकी सरकार बन रही है और उन्होंने किसी को तवज्जो नहीं दी। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने उस समय भागीदारी संकल्प मोर्चे के संयोजक ओमप्रकाश राजभर से कहा कि दूसरे की बात छोड़िए, आपको जो चाहिए वह लेकर हमारे साथ आ जाइए और मोर्चा टूट गया। क्योंकि ओम प्रकाश राजभर को जो चाहिए था वह मिल गया। कहीं न कहीं मुस्लिम लीडरशिप डेवलप न कर जाए यह सेक्युलर पार्टियों को खतरा रहता है। उन्होंने कहा कि समाज पार्टी में रहते हुए किसी मुसलमान लीडर की यह हिम्मत नहीं है कि वह अपने राष्ट्रीय नेतृत्व से सवाल कर सके। उन्होंने कहा 2012 से 2017 तक कई मुस्लिम एमएलए थे और सपा ने मुसलमानों से कई वादे किए थे लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं किया गया और इन मुस्लिम एमएलए की हिम्मत नहीं हुई कि वह केंद्रीय नेतृत्व से बात कर सके। अगर हमारे 5 लोग भी जीत कर जाते तो उनसे सवाल कर सकते थे। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी से जीतकर जाने वाला मुसलमान आपका विधायक नहीं बल्कि वह समाजवादी पार्टी का विधायक होता है जो आपके हिसाब से नहीं बल्कि अपनी पार्टी की गाइडलाइन के हिसाब से ही चल पाता है। उन्होंने कहा मुसलमान एक नर्स की तरह बना दिया गया है जो बच्चा पैदा करा देने के बाद बच्चा उसी का दे देता है जिसका रहता है। इस लिए भटकने के बजाय अपनी कयादत को मजबूत करें आपका हितलाभ इसी में है। सेक्युलर राजनीतिक दल आपके नहीं हो सकते बल्कि आपको अपनी कयादत को मजबूत करने के बाद ही राहत मिल सकती है इससे पूर्व नहीं। उन्होंने कहा कि आपको अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी दूसरों के सहारे जंग नहीं जीती जा सकती। एकता बनाएं और अपनी कयादत को मजबूत करें। इस अवसर पर नदीम आरिफ जिला अध्यक्ष आजमगढ़, जिला महासचिव मोहम्मद हाशिम, विधानसभा अध्यक्ष रहमतुल्लाह खान, इम्तियाज अहमद उर्फ गुड्डू, शकील अहमद, बदरे आलम, आलमगीर, मोहम्मद बरकात, नूरैन अहमद, सलीम अहमद, मोहम्मद नाजिम, सलमान, अरमान, बबलू, अबू शहमा, कयामुद्दीन उर्फ कम्मू, जुम्मन, मोहम्मद उमर, कफील अहमद आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
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