पेट्रोल, डीजल के बढ़ते दामों की तपिश आम नागरिक ही नहीं यूपी के कई सरकारी विभाग भी महसूस करने लगे हैं. कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते हुए लॉकडाउन ने सरकार की आमदनी भी घटाई है. इस बीच डीजल के बढ़े दाम ने कोढ़ में खाज का काम किया है. इस संकट से निबटने के लिए विभाग नए-नए उपाय कर रहे हैं. ऐसा ही कुछ कानपुर के नगर निगम में भी दिखाई पड़ रहा है. डीजल के बढ़ते दामों को देखकर कानपुर नगर निगम गाड़ियों की बजाय बैलगाड़ी से कूड़ा उठाने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए पहले चरण में एक बैलगाड़ी बनाकर शुरुआत करने की तैयारी है.
अभी कानपुर नगर निगम 72 वाहनों और 5,608 सफाई कर्मचारियों के जरिए शहर का कूड़ा उठाता है. इसमें एक वर्ष में एक करोड़ से ज्यादा डीजल खर्च होता है. इसको देखते हुए बैलगाड़ी से शहर में कूड़ा उठाया जाएगा. गोशाला के बैलों को बैलगाड़ी में लगाया जाएगा. पहले एक बैल गाड़ी बनाकर प्रयोग के तौर पर शहर में कूड़ा उठाने की तैयारी की गई है. कानपुर की महापौर प्रमिला पांडेय ने पशु चिकित्साधिकारी डॉ. ए.के. सिंह को कान्हा गोशाला जाजमऊ के बैलों से बैलगाड़ी तैयार करने के आदेश दिए है. इसके बाद नगर निगम वर्कशाप के माध्यम से एक बैलगाड़ी बनाने की तैयारी में लग गया है. नगर निगम के अधिकारी यह देखना चाहते हैं कि बैलगाड़ी से कूड़ा उठाने में कितने पैसे की बचत होती है. अगर यह योजना सफल हुई तो इसे और क्षेत्रो में भी लागू किया जाएगा. इसका फायदा यह है कि गोशाला में रखे गए पशुओं का व्यावसायिक उपयोग हो सकेगा और इससे होने वाली बचत का एक हिस्सा गोशाला में संसाधन विकास में खर्च किया जाएगा.
लॉकडाउन के कारण घटी आय की भरपाई के लिए लखनऊ नगर निगम भी नए उपाय ढूंढ़ रहा है. अब कोई भी नगर निगम को फोन करके अपना घर, आफिस, मोहल्ला सैनेटाइज करवा सकेगा, लेकिन यह सुविधा अब फ्री उपलब्ध नहीं होगी बल्कि नगर निगम उसका शुल्क वसूलेगा. लखनऊ नगर निगम इसके लिए एक प्रस्ताव बना रहा है जिसमें सैनेटाइज करने का शुल्क तय किया जाएगा. इसके बाद सैनेटाइजेशन के काम के लिए अलग से निजी कंपनियों को लाइसेंस दिए जाएंगे. इससे न केवल लोगों को सैनेटाइजेशन की सुविधा मिलेगी बल्किन नगर निगम को आमदनी भी हो सकेगी.