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वाराणसी- आजमगढ़ रेलवे लाइन के लिए मौजूदा सरकार के वादे कब होगे पूरे पूछ रही जनता ।


लालगंज आज़मगढ़ । वाराणसी आज़मगढ़ वाया गोरखपुर रेलवे लाइन निर्माण के लिए मौजूदा केंद्र सरकार ने 2014 में अपनी चुनावी जनसभा में इसे पूरा करने का वादा किया था जो सरकार बनने पर पूरा नही किया सका और इस रेल लाइन को ठंडे बस्ते रख दिया गया वाराणसी- आजमगढ़ रेलवे लाइन के लिए बड़ा संगठन भी लगातार अपनी आवाज़ उठा रहा है रेलवे को लेकर सरकारों ने निरंतर आजमगढ़ जिले की उपेक्षा की है। अस्तित्व में आने के 122 साल बाद भी यह रेलवे स्टेशन बुनियादी सुविधाओं से महरूम है। जबकि ट्रेन संख्या के आधार पर आजमगढ़ जनपद पूर्वोत्तर रेलवे में सबसे अधिक आय देने वाला स्टेशन है। इसके बाद भी इसकी उपेक्षा समझ से परे है।लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने वाराणसी से आजमगढ़ वाया गोरखपुर के लिए सीधी रेललाइन का वादा किया गया था, लेकिन यह वादा आज तक पूरा नहीं किया गया। सरकार की मंशा आजमगढ़ को लेकर हमेशा से साफ नहीं रही है।आजमगढ़ रेलवे का विकास तब तक संभव नहीं है जब तक यह अपने पड़ोसी बड़े जिलों ’वाराणसी और गोरखपुर’ से सीधे नहीं जुड़ जाएगा। इसलिए वाराणसी आज़मगढ़ गोरखपुर रेल लाइन का बनना क्षेत्र के विकास के लिये अत्यंत आवश्यक है। इस लाइन से न केवल आज़मगढ़ बल्कि सम्पूर्ण पूर्वांचल का विकास होगा। यह लाइन इन क्षेत्रों के आर्थिक, सामाजिक और आधारभूत सुविधाओं के विकास को कायाकल्प करने वाली लाइन साबित होगी ।इन क्षेत्रों के पिछड़ेपन को अनुभव करते हुए ही 1960 के दशक में लालगंज के तत्कालीन सांसद स्व. कालिका सिंह ने संसद में वाराणसी आजमगढ़ गोरखपुर को लेकर आवाज उठाई थी। तत्कालीन रेल मंत्री कमलापति त्रिपाठी ने इसके निर्माण के लिए सर्वे भी कराया था, लेकिन उसके बाद इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। तब से आज तक यहां के लोग इस प्रोजेक्ट के मूर्तरूप लेने का इंतजार कर रहे हैं।सत्ता में सांसद रही नीलम सोनकर ने इस मामले को सदन में उठाया। लेकिन सरकार ने अपने सांसद की मांग को भी खारिज कर दिया। जबकि उनकी पहल से पहले 2017 में 200 किमी के इस प्रोजेक्ट का ’सर्वे’ भी किया जा चुका था। मानसून सत्र के बाद 4200 करोड़ के बजट की चर्चा भी हुई। इसके बाद फिर प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इसको लेकर जनमानस में तीव्र रोष साफ दिख रहा है, पर कोई नेतृत्व न होने की वजह से यह रोष मुखर नहीं हो रहा है। 2019 के चुनाव में इसे चुनावी मुद्दे में बदला गया चुनाव के बाद पुनः यही स्थिति अभी तक बनी हुई है जबकि मौजूदा सांसद संगीता आज़ाद ने भी इस मुद्दे को सदन में उठाया है मगर उनकी बातों को भी नज़र अन्दाज़ किया गया । जबकि यह लाइन 7लोकसभा क्षेत्रों वाराणसी, मछलीशहर, लालगंज, आज़मगढ़, घोसी,बांसगांव, गोरखपुर’ व इनसे जुड़े 35 विधानसभाओं से सीधे जुड़ेगी।और यहाँ के लाखों लोगों को इस रेल लाइन से बहोत बड़ा फ़ायदा होता ।

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